Pradeep Mehra : प्रदीप मेहरा द रनिंग ब्वॉय | कहानी उत्तराखंड की, आपकी और हमारी |


उत्तराखंड का रहने वाला एक 19 साल का युवा जो रोजगार के लिए नोएडा के सेक्टर 16 में मैकडॉनल्ड्स में काम करता है, फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने उस युवक का आधी रात को दौड़ते हुए का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला और रातोंरात यह वीडियो ने इंटरनेट पर वायरल हो गया । 

कौन है यह उत्तराखंड का पहाड़ी युवा?


दरअसल, प्रदीप मेहरा Pradeep Mehra नाम का युवक उत्तराखंड के अल्मोड़ा  जिले के धनाड़ गांव के श्री त्रिलोक सिंह मेहरा का पुत्र है, जो अपनी 12 वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली मे अपने भाई के साथ नौकरी के लिए आया और मैकडॉनल्ड्स मे काम करने लगा, भाई भी प्राइवेट कंपनी मे जॉब करता है, साथ मे माँ रहती है उनका इलाज चल रहा है| अपनी शिफ्ट खत्म होने के बाद ये अपने रूम पर जाने के लिए दौड़ लगते है क्योंकि इन्हे आर्मी मै भर्ती होना है अक्सर 8 से 12 घंटे की जॉब के बाद रूम पर जाने की जल्दी होती है लेकिन समय की व्यस्थाता के कारण प्रदीप आधी रात को दौड़ते है औरआर्मी की भर्ती की अपनी तैयारी करते है | इनका यह जूनून अब इनकी पहचान बन गयी है, आज हर तरफ से प्रदीप को मदत मिल रही है जो की एक सकारात्मक सोच का प्रतिक है | 


प्रदीप मेहरा एक अकेला पहाड़ी बालक नहीं है जिसकी ये कहानी हो यह कई गुमनाम मेहनती पहाड़ी युवाओं की कहानी है जो शहरों के शोर शराबे मे कही खो जातें  है| 


क्यों पहाड़ के युवा को शहरों मे दौड़ना पड़ता है?


उत्तराखंड उत्तराखंड का अधिकांश भू-भाग पर्वतीय क्षेत्र Hill area हैं जहाँ निवास करने वाली जनसंख्या Population, को जीवन यापन करने मे बहुत समस्याओं का,सामना करना पड़ता है जिस कारण से धीरे धीरे पलायन हो रहा है| उत्तराखंड राज्य को बने हुए आज 21 साल पुरे हो गये हैं ,लेकिन समस्याओं का अभाव है की समाप्त होने का नाम नही ले रहा हैं। सुविधाओं के अभाव होने के कारण दिन प्रतिदिन पहाड़ों से पलायन जारी है  सरकार Government द्वारा इस दिशा में जो भी कदम उठाए गए है, वह भी बढ़ते जा रहे पलायन को रोकने में पूर्ण रूप से कामयाब होते नहीं दिखाई दे रहे है | 


पर्वतीय क्षेत्रों की मूल समस्या क्या हैं ?| What are the basic problems of hill areas?




स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा (Health, Education and Employment) यह तीन मूल कारण है पलायन का क्योंकि बेहतर स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार के लिए पर्वतीय क्षेत्रों से युवा youth शहरों cities की तरफ पलायन करते है, जो  युवा अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण कर लेते  है और वे उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहतें है चाहे वह इंजीनियरिंग (Engineering Education)करना हो डॉक्टर की पढ़ाई (Doctor of Education) हो या किसी विषय मे शोध करना हो उनको भी किसी न किसी रूप से शहरों की तरफ आना ही होता है, यह लगभग हर वर्ग की कहानी है| 

कोई शहरों मे रोजगार Employment ढूंढ़ता है कोई स्वास्थ्य सुविधा तो कोई बेहतर शिक्षा, कोरोना महामारी के दौरान  हम इसका जीवंत उदाहरण देख चुके है | 


कैसे इन समस्याओं को ठीक करें ? How to fix these problems?


मुख्या रूप से स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा जो की मूलभूत सुविधाएँ है को दुरुस्त करने की अवश्यकता है इन सुविधाओं को एक साथ सामान रूप से अपडेट करना होगा, किसी एक के भी अभाव से पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन को रोकना संभव नही है, इस कार्य मे जनसहभागिता अति महत्वपूर्ण है|  आज भी युवाओं को इन मूलभूत सुविधा को पाने के लिए शहरों की तरफ नचाहते हुए भी जाना पड़ता है| 


इस समस्या का समाधान सभी को मिलकर करना है न कि सरकार को ही करना है, हम इस समस्या का समाधान कर सकते है इसलिए सरकार के साथ संपूर्ण पर्वतीय क्षेत्र में निवास करने वाली जनसंख्या को भी इसमे अपनी पूर्ण सहभागिता के साथ काम करना होगा ,क्योंकि जब कोई बच्चा अपने गांव village को छोड़कर रोजगार के लिए शहरों मे आता है तो उसका वापस जाना लगभग नामुमकिन हो जाता है क्योंकि जो सुविधाएं शहरों में प्राप्त होती है वाह पर्वतीय क्षेत्रों के सुदूर गांव में उपलब्ध नहीं होती है|  जिस कारण एक बार पलायन कर चुके युवा पुनः वापस अपने गांव में नहीं जा पाते हैं | इस समस्या का समाधान भी भावी पीढ़ी को उठाना होगा अतः यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी युवाओं की है जो युवा पर्वतीय क्षेत्र से पढ़ने के लिए शहरों की तरफ रुख  करते हैं उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इस विषय में सोचने की आवश्यकता है| 


पर्वतीय क्षेत्रों मे पोस्टिंग को लेकर सोच क्या है ?



आज परस्तिति ऐसे होगयी है की पर्वतीय क्षेत्रों मे पोस्टिंग वहां  की समस्याओं का समाधान हेतु नहीं अपितु पनिशमेंट के रूप में हो रही है जब तक पहाड़ मे पोस्टिंग को लेकर ऐसा रवया रहा तो आप कुछ भी कर लो जो स्थिति है वो आगे बदलने वाली नहीं है | 


“जैसे पर्वतीय क्षेत्रों मे पोस्टिंग होना और सजा होना बराबर हो”, ये सोच बदलनी होगी | 


एक तरफ प्रदीप जैसे पहाड़ी युवा हैं जो देश की सेवा करने के लिए  हर दर्द को तैयार है चाहे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र हो या बर्फी से ढकी वादियां हो या ताप्ती धरती और आग उगलता हुआ असमा तथा अपने पीछे अपने परिवार को छोड़ता है और दूसरी तरफ हम लोग है जो अपनी पोस्टिंग शहरो मे ही चाहतें है | 

आने वाली पीढ़ी को हमें क्या देना चाहतें  है इसके बारे मे हमें आज ही सोचना है, खंडहर या सुविधाओं से भरपूर गांव |

जनसंख्या का हल तो देख रहे हो शहरों मे भी जिन सुविधाओं के लिए अये थे वे भी टाइम पर मिलना मुश्किल होती जा रही है|